Ayatul Kursi आयतुल कुर्सी तर्जुमें के साथ हिंदी, अँग्रेजी, उर्दू, अरबी, तेलुगु एवं मलयालय मेंAyatul Kursi आयतुल कुर्सी तर्जुमें के साथ हिंदी, अँग्रेजी, उर्दू, अरबी, तेलुगु एवं मलयालय में
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Ayatul Kursi  : अस्सलामुअलैकुम इस्लाम के भाईयों, इज्जदार माँ और बहनों क्या आपको पता हैं, कि Ayatul kursi (आयतल कुर्सी) को एक चौथाई कुरआन कहा जाता हैं, और जो कोई भी आयतल कुर्सी को फज़र की नमाज पढ़ने के बाद आयतल कुर्सी को पढ़ता हैं तो उसके लिए अल्लाह की रहमत से जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं।

साथ ही जो इंसान इस Ayatul Kursi (आयतुल कुर्सी) को कसरत से पढ़ता हैं वो हर नुकसान से महफूज़ रहता हैं, इसके अलावा और भी इस आयत के बहुत से फायदे हैं जैसे कारोबार में तरक्की, घर में बरकत, मुश्किलात से छुटकारा, बीमारी से शिफा आदि। तो दोस्तों Ayatul kursi के इतने सारे फायदें हैं तो आपको भी इसको सीखना चाहिए।

आज मैं आपको Ayatul Kursi in hindi, Ayatul Kursi in Arabic, Ayatul Kursi in English, Ayatul Kursi in Urdu, Ayatul Kursi Tarjuma in Hindi, आयतल कुर्सी के फायदे, तथा आयतल कुर्सी की फज़ीलत सब कुछ डिटेल्स में बताऊँगा वो भी आसान भाषा में।

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ये आयत मौहम्मद मुस्तफा स.अ.व. के जमाने में भी आयतल कुर्सी के नाम से जानी जाती थी। पैगम्बरे अकरम मौहम्मद मुस्तुफा स.अ.व. ने फरमाया के तमाम आयतों में बा-अजमत तरीन आयत आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) हैं।

हुजूर ने आयतल कुर्सी की तारीफ में और फरमाया के अलफाज़ का सरदार कुरआन, कुरआनी सूरतों का सूरूर सूरह बकराह और सूरह बकराह का सुरूर आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) हैं।

आयतल कुर्सी (Ayatul kursi) के फायदे निम्नलिखित हैं-

हज़रत अबु हुरैरा र.अ. से रिवायत हैं, कि एक बार मौहम्मद मुस्तुफा स.अ.व. ने फरमाया सूरह बकराह में एक आयत हैं, जोकि तमाम आयतों की सरदार हैं और वो आयत जिस घर में पढ़ी जाती हैं। उस घर से शैतान बाहर निकल जाता हैं।

हज़रते अली र.अ. फरमाते हैं, कि मैने हुजूर स.अ.व. को ये फरमाते हुआ सुना हैं, कि जो इंसान हर नमाज के बाद आयतल कुर्सी कसरत से पढ़ेगा, उसको कोई भी चीज जन्नत में दाखिल होने से नहीं रोक सकती। (वो मरते ही जन्नत में जायेगा)

जो शख्स रात को सोने से पहले Ayatul Kursi पढ़कर सोता हैं, तो आयतल कुर्सी की बरकत से वह और इर्द-गिर्द के दूसरे घर वाले भी शैतान और चोर से महफूज़ रहेंगे।

हूजूर स.अ.व. ने इरशाद फरमाया, जो शख्स रात को सोते वक्त आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) पढ़ता हैं, अल्लाह तआला उसकी हिफाजत के दो फरिश्ते मुकर्रर फरमा देता हैं, जो सुबह तक उसकी हिफाजत करते रहते हैं।

एक शख्स ने हुजूर स.अ.व. अर्ज किया के या रसूल अल्लाह स.अ.व. मेरे घर में खैरोबरकत नहीं हैं। इसपर हूजूर स.अ.व. ने इरशाद फरमाया तुम आयतल कुर्सी क्यों नहीं पढ़ते। इसको पढ़ा कसरत से पढ़ा करों।

हुजूर स.अ.व. ने इरशाद फरमाया के जो इंसान आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) पढ़ेगा अल्लाह तआला एक फरिश्ते को उसके पास भेजेगा जो अगले दिन उसी वक्त तक उस शख्स के नामाऐ ऐमाल में नेकिया लिखता रहेगा और गुनाहो को मिटाता रहेगा।

ख्वाजा गरीब नमाज ने फतावा जोहरिया में तहरीर किया हैं, कि हुजूर स.अ.व. ने फरमाया हैं के जो शख्स आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) पढ़कर घर से बाहर निकलता हैं, तो अल्लाह तआला 70000 फरिश्तों को हुक्म देता हैं, कि उस शख्स के वापस आने तक उसकी मगफिरत के लिए दुआ करते रहो।

जो शख्स आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) पढ़कर घर में दाखिल होता हैं, तो अल्लाह तआला उस शख्स के घर से मुफलिसी दूर फरमा देता हैं।

हुजूर ने फरमाया आयतल कुर्सी पढ़कर अपने नफ्सों को मजबूत किलों में महफूज कर लिया करो।

नीचे अलग अलग भाषाओं में आयतल कुर्सी लिखी हुई हैं। इमेज के साथ में

अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू

अल हय्युल क़य्यूम

ला तअ’खुज़ुहू सिनतुव वला नौम

लहू मा फिस समावाति वमा फ़िल अर्द

मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इजनिह

यअलमु मा बैना अयदी हिम वमा खल्फहुम

वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा..अ

वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्द

वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा

 

वहुवल अलिय्युल अज़ीम


اللَّـهُ لَا إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ ۚ لَا تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلَا نَوْمٌ ۚ لَّهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ ۗ مَن ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِندَهُ إِلَّا بِإِذْنِهِ ۚ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ ۖ وَلَا يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِّنْ عِلْمِهِ إِلَّا بِمَا شَاءَ ۚ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ ۖ وَلَا يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا ۚ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ .

Allah! There is no god but He – the Living, the Self-subsisting, Eternal. No slumber can seize Him nor Sleep. His are all things in the heavens and on earth.

Who is there that can intercede in His presence except as he permitteth? He knoweth what (appeareth to His creatures As) Before or After or Behind them.

Nor shall they compass aught of His knowledge except as He willeth. His throne doth extend over the heavens and on earth, and He feeleth no fatigue in guarding and preserving them, For He is the Most High, the Supreme (in glory).

अल्लाह जिसके सिवा कोई माबूद नहीं

 वही हमेशा जिंदा और बाकी रहने वाला है

 न उसको ऊंघ आती है न नींद 

 जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब उसी का है 

 कौन है जो बगैर उसकी इजाज़त के उसकी सिफारिश कर सके 

 वो उसे भी जनता है जो मख्लूकात के सामने है और उसे भी जो उन से ओझल है 

 बन्दे उसके इल्म का ज़रा भी इहाता नहीं कर सकते सिवाए उन बातों के इल्म के जो खुद अल्लाह देना चाहे 

 उसकी ( हुकूमत ) की कुर्सी ज़मीन और असमान को घेरे हुए है 

 ज़मीनों आसमान की हिफाज़त उसपर दुशवार नहीं 

 वह बहुत बलंद और अज़ीम ज़ात है

Allahu laaa ilaaha illaa huwal haiyul qai-yoom; laa taakhuzuhoo sinatunw wa laa nawm; 

lahoo maa fissamaawaati wa maa fil ard; 

man zallazee yashfa’u indahooo illaa be iznih; ya’lamu maa baina aideehim wa maa khalfahum; 

wa laa yuheetoona beshai ‘immin ‘ilmihee illa be maa shaaaa; wasi’a kursiyyuhus samaa waati wal arda wa la ya’ooduho hifzuhumaa; wa huwal aliyyul ‘azeem

আল্লাহু লা ইলাহা আল্লাহু

আল হাইয়ুল কাইয়ুম

লা তাখুজুহু সিন্টুভ ওয়ালা নাউম

লাহু মা ফিস সমবতী ভামা ফিল আরদ

মান জাল লাযী ইয়াশ ফাউ ইন্দাহু ইল্লা বি ইজনিহ

ইয়ালমু মা বাইনা আইদি তাকে ওয়ামা খালফাহুম

ওয়ালা ইউহিতুনা বিশায়ে ইম মিন ইলমিহি ইল্লা বিমা শা..আ

ভাসিয়া কুরসিউ হুস সমবতী ভাল আরদ

ওয়ালা ইয়াউ দুহু হিফজুহুমা

ওয়াহুওয়াল আলিয়ুল আজিম

అల్లాహు లా ఇలాహ అల్లాహు

అల్ హయ్యుల్ ఖయ్యూమ్

ల త’ఖుజుహు సింటువ్ వాలా నౌమ్

లహు మా ఫిస్ సమవతి వామా ఫిల్ ఆర్డ్

మన్ జల్ లాజి యష్ ఫౌ ఇందాహు ఇల్లా బి ఇజ్నిహ్

యాల్ము మా బైనా అయ్ది హిమ్ వామా ఖల్ఫహుమ్

వాలా యుహితున బిషయ్ ఇమ్ మిన్ ఇల్మీహి ఇల్లా బీమా షా..ఏ

వాసియ కుర్సియు హుస్ సమవతి వాల్ ఆర్డ్

వల యౌ దుహు హిఫ్జుహుమా

వహువల్ అలీయుల్ అజీమ్

അള്ളാഹു ലാ ഇലാഹ അള്ളാഹു

അൽ ഹയ്യുൽ ഖയ്യൂം

ല ത’ഖുസുഹു സിന്തുവ് വലാ നൗം

ലാഹു മാ ഫിസ് സമാവതി വാമ ഫിൽ ആർഡ്

മാൻ സൽ ലാസി യാഷ് ഫൗ ഇൻദാഹു ഇല്ല ബി ഇജ്നിഹ്

യാൽമു മാ ബൈന അയ്ദി ഹി വമാ ഖൽഫഹും

വാലാ യുഹിതുന ബിഷയ് ഇം മിൻ ഇൽമിഹി ഇല്ല ബീമാ ഷാ..എ

വസിയ കുർസിയു ഹുസ് സമാവതി വാൽ ആർഡ്

വല യൌ ദുഹു ഹിഫ്സുഹുമാ

വഹുവൽ അലിയുൽ അസീം

आयतल कुर्सी की फजीलत

बलासुबह कुरआन मजीद की तमाम आयात मुबारका के फजाइल व बरकात के एतबार से हर मुसलमान मर्द व औरत को फायदा पहुँचाती हैं। कुरआन पाक को पढ़ना और सुनना भी बे शुमार बरकात और फायदे का बेहतरीन ज़रीया हैं।

जिस तरह कुरआन मजीद की दीगर आयत मुबारका अपने अंदर खुवास व बरकात रखती हैं, ठीक उसी तरह आयतल कुर्सी बुलंद व बाला शानों अजमत वाली आयत मुबारका हैं। उसकी बहुत ज्यादा फजीलत हदीसों में बयान की गई हैं।

अल्लाह के प्यारे महबूब मौहम्मद मुस्तफा स.अ.व. ने कुरआन पाक की सूरह बकराह में मौजूद आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) की बहुत ज्यादा तारीफ फरमाई हैं।

एक हदीस शरीफ में हुजूर अकरम स.अ.व. ने इरशाद फरमाया के कुरआन पाक में मौजूद आयत मुबारका में सवाब के लिए आयतल कुर्सी बुजूर्ग तरीन आयत हैं।

आयतल कुर्सी आसेब और शैतान को दूर भगाने के लिए बहुत ही अच्छा वजीफा हैं। जो शख्स आयतल कुर्सी पढ़ता हैं वह आसेब और शैतान से महफूज रहता हैं।

मुस्तदरक की एक रिवायत में हैं, कि सूरह ए बकराह में एक आयत है जो कुरआने पाक की तमाम आयतों की सरदार हैं। वो आयत जिस घर में पढ़ी जाए। उस घर से शैतान निकल जाता हैं। वह आयत आयतल कुर्सी ही हैं।

इब्ने हबान ने नक्ल किया हैं, कि जो इंसान आयतल कुर्सी को अपने माल में रखे या पढ़कर अपने ऊपर या अपने माल पर या अपनी औलाद दम करे या कहीं लिखकर टाँग दे तो शैतान या आसेब हर गिज उसके माल व औलाद की तरफ नहीं आयेगा। और वह शैतान और आसेब से सुरक्षित भी रहेगा।

चूँकि इक दौर में हर शख्स किसी न किसी परेशानी में मुब्तला हैं और कोई न कोई रूकावट उसकी राह में अड़चन बनकर खड़ी हो जाती हैं जैसे- किसी को माली परेशानी होती हैं, कोई किसी मुश्किल का शिकार हो जाता हैं, कोई अपनी ना फरमान औलाद का शिकार हैं, तो कोई बेरोजगार हैं, कोई कर्ज के बोझ में दबा हुआ हैं, कोई दुश्मनी से परेशान हैं, कोई बीमारी मुब्तला हैं।

बल्कि किसी न किसी तरह से हमारे और समाज में हर कोई जरूर मुश्किल व परेशानी में घिरा हैं। वैसे तो हर परेशानी को बला सुबा अल्लाह तआला दूर फरमाता हैं।

और कुरआन की हर एक आयत अपने अन्दर एक ख्वास व शफाई असरात रखती हैं। बेशख आयतल कुर्सी की एक अपनी शान हैं। एक मकामो मरतबा हैं और साथ ही बे शुमार फज़ीलत वाली आयत भी हैं।

इसलिए आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi in Hindi) के जरिये मुश्किलात का हल न सिर्फ बहुत जल्दी मुमकिन हैं बल्कि यकीनी हैं।

आयतल कुर्सी कुरआन के पहला पारा अलिफ लाम मीम में दूसरी सूरह सूरह बकराह में आयत नं. 255 हैं। आयतल कुर्सी को शैतान या आसेब के असर को दूर करने के लिए पढ़ा जाता हैं। इसको पढ़ने के वैसे तो बहुत से फायदे जैसे कि घर या कारोबार में बरकत, बीमारी से शिफा और भी बहुत कुछ।

दोस्तों हमारे हुजूर स.अ.व. ने फरमाया कि कुरआन की तमाम आयतों में आयतल कुर्सी बुजुर्ग तरीन आयत हैं। और जो शख्स इसको रात को पढ़कर सोता हैं, तो अल्लाह कुछ फरिश्तों को मुकर्रर फरमा देता हैं, तो वो फरिश्ते सुबह तक उस शख्स के नामाऐ ऐमाल में नेकिया लिखते रहते हैं, और उसकी मगफिरत के लिए दुआ करते रहते हैं।

तो दोस्तों आपको भी आयतल कुर्सी के वजाइफ करते रहना चाहिए और जब आप घर से वाहर या अन्दर आये या कोई काम शुरू करे तो पहले आयतल कुर्सी की तिलावत करके शुरू करें। जिससे की उस काम में आपको अल्लाह की मदद हासिल होती रहें।

दोस्तों आयतल कुर्सी वसीले से आप अल्लाह तआला की बारगाह में हर की मुश्किल या मुसीबत के लिए दुआ करेंगे तो आप अपने मकसद में बहुत जल्द कामयाबी हासिल करेंगे और अल्लाह तआला आप की दुआ भी कूबूल फरमा लेगा।

आयतल कुर्सी को हर तरह की मुसीबत के लिए अलग तरह से पढ़ा जाता हैं, इसलिए हमने नीचे आपको कुछ आम बीमारियों और जरूरतों से जुड़े वजाइफ वता रहे हैं, जिनको करने से आपकी जिंदगी में खुशहाली आ जाएगी और आपके तमाम बिगड़े काम भी बन जायेंगे।

आयतल कुर्सी के वजीफे इस प्रकार हैं-

  • एक हदीसे पाक में आता हैं, कि जो शख्स मुसीबत और सख्ती के वक्त आयतल कुर्सी और सूरह बकराह की आखिरी आयत मुबारिका पढ़ेगा अल्लाह तआला उसकी फरयाद सुनेगा। मुश्किलात में घिरे हुए लोगों के लिए आयतल कुर्सी उपर बतायें गये तरीके से पढ़ने से उसकी तमाम मुश्किलात अल्लाह के फजल से रफा दफा हो जाएगी।
  • हजरत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी र.अ. के अमलियात में तहरीर हैं के जो शख्स आयत कुर्सी पढ़कर घर में दाखिल अल्लाह तआला उसके घर से मुफलिसी दूर फरमा देगा और उस घर में कभी रिज्क की तंगी न होगी। परबर दिगारे आलम उसको रिज्क अता फरमायेगा।
  • जो शख्स ये चाहे कि उसके ओहदे में तरक्की हो जायें या उसकी तन्ख्वाह में इजाफा हो जायें, तो वो जुमा के दिन नमाजे असर की अदायगी के बाद 313 बार आयतल कुर्सी पढ़कर अल्लाह तआला से दुआ माँगे। इंशाअल्लाह तआला आपको कामयाबी हासिल होगी।
  • जिस किसी को ये अंदेशा हैं, कि उसको कोई नुकसान पहुँचायेगा तो इसे चाहिये कि हर फर्ज नमाज के बाद दुआ माँगने से पहले अपने सज्दे की जगह पर दाँये हाथ की पाँचों अगुँलियों को जमीन पर रगड़े और फिर एक बार आयतल कुर्सी पढ़कर फूँक दें और हल्की सी ताली बजायें। तो इंशाअल्लाह कोई आपको नुकसान न पहुँचा सकेगा और न ही कोई बुराई देखने को मिलेगी।
  • अगर किसी की चोरी हो गई हो और चोर के बारे में कुछ मालूम न होता हो तो उसे चाहिए के कोई खाली मश्क लेकर बा वुजू हालत में उस पर आयतल कुर्सी लिखें और सात अम्बिया इकराम के नाम नुह, लूत, सालह, इब्राहीम, मूसा, ईसा मुहम्मद सलातो अस्सलाम लिखें। उसके बाद अलग अलग एक एक नाम के साथ एक एक बार जुबानी आयतल कुर्सी पढ़कर मश्क में फूँक दें और हर मर्तबा आयतल कुर्सी पढ़ने के बाद दुआ माँगे।
  • अगर किसी के यहाँ औलाद की पैदाइश न होती हो और औरत बाँझ हो तो उसे चाहिए के मँगल के दिन नमाज
    https://youtu.be/xACylzHOziI?si=nKE-_Tc10aNf1eV1
    तमाम तरह की बलाओं और मुश्किलात से शिफा पाने के लिए आयतल कुर्सी के ताबीज भी बनाये जाते हैं, जिनकों हाथ, गले, पॉकिट या घर में रखा जाता हैं। ये ताबीज बहुत ही असरदार होते हैं, लेकिन ताबीज बनाने के लिए कुछ मखसूस शर्ते होती हैं, अगर कोई शख्स आयतल कुर्सी के ताबीज बनाना चाहता हैं, तो उसको चाहिए पहले ताबीज बनाना सीखें या किसी मौलाना या सूफी से ही बनवायें।

    अगर ताबीज बनाते समय उस ताबीज की शर्तों को पूरा नहीं किया गया तो वह पूरी तरह से असर नहीं दिखाता हैं। कई बार तो ताबीज लिखने के लिए अम्ल भी उठाना पड़ता हैं। इसलिए आपको चाहिए कि ताबीज किसी आमिल से ही बनवायें।

    आयतल कुर्सी ताबीज इन सभी तरह के मर्जों, बलाओं या मुश्किलात में बहुत ही असरदार होते हैं।

    • दिल की घबराहट के लिए
    • आसेब से हिफाजत के लिए
    • आफात या मुश्किलात से बचाव के लिए
    • सुलह या मौहब्बत के लिए
    • बबाई अमराज के लिए या किसी वायरस के लिए
    • मुसीबत से महफूज रहने के लिए
    • माल की हिफाजत के लिए
    • कारोबार में बरकत के लिए
    • मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए
    • शिफायें कामला के लिए
    • बलंद मर्तबा के लिए
    • दिल के सुकून के लिए
    • सफर में हिफाजत के लिए
    • बातनी सफाई के लिए
    • इज्जत बहाल के लिए
    • शैतान से हिफाजत के लिए
    • नजर से बचने के लिए
    • नामर्दी के लिए

    दोस्तों याद रहे ऊपर जो भी बताया गया हैं उनके लिए अलग अलग मखसूस समय पर और अलग अलग कंडिशन में ताबीज लिखना पड़ता हैं। इसके लिए आपको किसी आमिल से ही मिलना चाहिए।

    यहाँ पर आयतल कुर्सी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य दिये गये हैं-

    • आयतुल कुरसी कुरान में सूरह अल-बकराह की 255वीं आयत है।
    • यह कुरान में सबसे आला और महत्वपूर्ण आयतों में से एक है।
    • अयातल कुर्सी को सिंहासन पद्य के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह अल्लाह की महानता और ब्रह्मांड पर उनकी संप्रभुता का वर्णन करता है।
    • आयतल कुर्सी को शैतान या आसेब से महफूज रहने और किसी के विश्वास को मजबूत करने के लिए पढ़ा जाता है।
    • हदीसों के अनुसार, प्रत्येक नमाज के बाद पढ़ने से अल्लाह की रहमते बरसती हैं।
    • आयतल कुर्सी का कसरत से विर्द करने के फायदों में शैतान और अन्य बुराइयों से सुरक्षा, चिंता और तनाव से राहत, और ज्ञान में वृद्धि शामिल है।
    • माना जाता है कि अयातुल कुरसी में संपूर्ण कुरान का सार समाहित है, जो इसे मुसलमानों के बीच एक उच्च सम्मानित और श्रद्धेय कविता बनाता है।
    • ये आयत अल्लाह की विशेषताओं जैसे कि उसकी शक्ति, ज्ञान और दया का वर्णन करती है।
    • अयातुल कुरसी के शब्द खूबसूरती से लिखे गए हैं और उनमें एक काव्यात्मक लय है, जिससे इसे पढ़ने में आनंद आता है।
    • कई मुसलमान अयातुल कुरसी को याद करते हैं और अपनी साधना के हिस्से के रूप में इसे रोजाना पढ़ते हैं।

      दोस्तों आयतल कुर्सी कुरआन की एक बुजुर्ग तरीन आयत हैं। अल्लाह के रसूल हमारे आका हजरत मौ. मुस्तफा स.अ.व. ने इस आयत की बहुत ही तारीफ की हैं। आयतल कुर्सी के बारे में बहुत ही हदीसें हैं, जिनमें आयतल कुर्सी की फजीलत और फायदें बयान किये गये जैसे कारोबार में बरकत के लिए, मुश्किलात का हल, घातक से घातक बीमारी से शिफा और बहुत कुछ बताया। इसलिए आयतल कुर्सी के अम्ल का होना बहुत ही जरूरी हैं।

      और तो और आयतल कुर्सी हर किसी मुसलमान को याद होना चाहिए, क्योंकि आयतल कुर्सी की कसरत से तिलावत करने वाला शख्स हर तरह की बलाओं, आसेब और शैतान की हरकतों से महफूज रहता हैं और इससे उस बंदे के कारोबार और रिज्क में बरकत भी होती हैं।

      अगर आप आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) की पीडीएफ को डाउनलोड करके पढ़ना चाहते हैं, तो हमने आपके लिए नीचे जो लिंक दिया उसपर क्लिक करके आप इसको डाउनलोड करके बाद में भी पढ़ सकते हैं, नीचे लिंक दिया गया हैं-

      https://drive.google.com/file/d/1v29hM3QQB_ByVGqiHs6eKc0TV-LJGyT4/view?usp=sharing

      प्र0(1) आयतल कुर्सी का मतलब क्या होता है?

      आयतल कुर्सी तीन शब्दों से मिलकर बनी हैं, आय+तल+कुर्सी। आयतल कुर्सी कुरआन में तमाम आयतों से अफजल तरीन आयत हैं। इसको पढ़ने वाले शख्स को कभी भी शैतान या कोई आसेब परेशान नहीं कर सकता और उस शख्स के तमाम बिगड़े काम भी आसानी से बन जाते हैं।

      प्र0(2) अतल कुर्सी पढ़ने से क्या फायदा होता है?

      उत्तर- हुजूरे अकरल स.अ.व. ने फरमाया के अलफाज़ का सरदार कुरआन, कुरआनी सूरतों का सूरूर सूरह बकराह और सूरह बकराह का सुरूर आयतल कुर्सी (Ayatul Kursi) हैं। इसलिए ये आयत बहुत ही अफजल तरीन आयत हैं।

      आयतल कुर्सी को पढ़ने वाले शख्स के सभी बिगड़े काम, कारोबार में बरकत, शैतान या आसेब से महफूज, तमाम बीमारियों से शिफा आदि फायदे होते हैं।

      प्र0(3) अयातुल कुर्सी में कितने अक्षर होते हैं?

      उत्तर- शेख अलबुनी के अनुसार आयतल कुर्सी में 170 अक्षर हैं। आयतल कुर्सी तमाम आयतों में अफजल तरीन आयत हैं।

      प्र0(4) आयतल कुर्सी की फ़ज़ीलत क्या है?

      उत्तर- आयतल कुर्सी बहुत ही शान और अजमत वाली आयत हैं, आयतल कुर्सी बहुत की बहुत बड़ी फजीलत हैं, इसको कसरत से पढ़ने वाले शख्स के कारोंबार में बरकत, मुश्किलात में आसानी और बड़ी से बड़ी बीमारी से शिफा, बिगड़े काम भी बन जाते हैं।

      इस आयत को जो भी शख्स जिस भी जाईज नियत से पढ़ेगा, अल्लाह तआला उसकी वो मुराद पूरी फरमा देता हैं।

      प्र0(5) मुस्लिम धर्म में सबसे पहले कौन आया था?

      उत्तर- इस्लाम में कुरआन पाक के मुताबिक विश्व में सबसे पहले हजरते आदम अलैहिस्सलाम तशरीफ लायें थे, जोकि एक मुसलमान थे। हजरते आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से दुनिया में आने वाले सबसे पहले इंसान थे।

      इनको अल्लाह तआला ने जन्नत में गुनदुम खाने की वजह से जन्नत से निकाल कर दुनिया में भेज दिया गया था। इस तरह से मुस्लम धर्म में ही नहीं बल्कि हजरते आदम अलैहिस्सलाम दुनिया में सबसे पहले तशरीफ लाने पहले इंसान थे।

      कुरान में अयातुल कुर्सी कहां है?

      कुरआन में आयतल कुर्सी पारा नं. 1 के सूरह नं. 2 अलबकराह की आयत नं. 255 हैं। आयतुल कुर्सी बा अजमत और बुजुर्ग तरीन आयत हैं। यह सूरह बकराह की महत्वपूर्ण आयत हैं। इसको पढ़ने या लिखकर कहीं टाँगने से शैतान या आसेब दूर रहता हैं।

      कारोबार में बरकत होता हैं, और इसको कसरत से पढ़ने वाला शख्स कभी भी परेशान, उदास या किसी उलझनो में नहीं उलझता अलवत्ता उसको अल्लाह मदद हासिल होती रहती हैं। जिससे उसके तमाम बिगड़े काम बन जाते हैं।

    https://youtu.be/xACylzHOziI?si=nKE-_Tc10aNf1eV1

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