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ईद की नमाज पढने के लिए ईद की नमाज की नियत करना बहुत ही जरुरी है।

 

ऐसे में ईद की नमाज की नियत कैसे बाँधी जाती है जाने।

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किसी भी नमाज की नियत दिल के इरादे से पूरी हो जाती है

ऐसे ही ईद की नमाज की नियत दिल के इरादे से हो जाती है

अगर जुबानी ईद की नमाज की नियत करना चाहते है तो यूँ करें

EID KI NAMAZ KI NIYAT: नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ वाजिब

ईदुल फित्र की मय ज़ाइद 6 तकबीरों के, वास्ते अल्लाह तआला के

पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ – अल्लाहु अकबर

अल्लाहु अकबर कहते समय दोनों हाथ कान तक उठाकर ले जाये, फिर हाथ बाँध ले

 

 

ईद की नमाज का तरीका यूँ है कि –

सबसे पहले ईद उल फितर नमाज की नियत करें

फिर ईद की नमाज में सबसे पहले सना पढ़े

सना हिंदी में – “सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका

व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका”

सना पढने के बाद दुबारा से हाथ कान तक ले जाए अल्लाहु अकबर कहकर हाथ छोड़े।

दूसरी बार फिर से कान तक हाथ ले जाये और अल्लाहु अकबर कहकर हाथ छोड़ दे

एंव तीसरी बार भी यही करना है लेकिन इस बार हाथ को बाँध लेना है।

अब ईदगाह के इमाम जो भी पढ़े उसे ध्यान से सुने इधर उधर ध्यान न दे।

इमाम साहब अऊजु बिल्लाह, बिस्मिल्लाह और सूरए फातिहा अन्य सूरत पढे

तो ऐसे में मुक्तदी/आपको खामोश होकर सुनना चाहिए।

जब इमाम साहब लुक्मा दे तो ईद उल फ़ित्र की नमाज में रुक्रू व सज्दे में जाए।

दूसरी रकअत के लिये सज्दे से खड़े होने पर इमाम साहब बिस्मिल्लाह/सूरए फातिहा/अन्य कोई सूरत पढ़े

ऐसे में आपको खामोश होकर सुनना है।

जब इमाम साहब “अल्लाहु अकबर” कहे फिर कानो तक हाथ उठाए फिर हाथ छोड़ दे

दुबारा से अल्लाह हु अकबर कहेंगे।

ऐसे में आपको दुबारा से कान तक हाथ ले जाकर छोड़ देना है।

अंतिम एंव चौथी बार इमाम साहब “अल्लाहु अकबर” कहे

तो हाथ बिना उठाये सीधे रुकू में जायेंगे और मामूल के मुताबिक नमाज़ ईद की नमाज पूरी करे।

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