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Big News जंगल की आग से बड़ा 17 गुना ब्लैक कार्बन शोधकर्ताओं ने जताई चिंता

अज़हर मलिक 

जंगलों में भीषण आग से पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों व वन्य जीव बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं आग में बेसकीमती वन संपदा जलकर स्वाहा हो गई है जंगलों में हरी वनस्पतियों के जलने से निकला दुआ घाटियों में फैल गया है लोगों को आंखों में जलन महसूस हो रही है वही आग की वजह से जंगली जानवर भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं इससे जल संकट भी बढ़ने लगा है।

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वन अग्नि का दीर्घकालिक असर पहाड़ के पर्यावरण और वातावरण में पड़ रहा है इकोलॉजिकल सिस्टम भी गड़बड़ाता हुआ दिखाई दे रहा है यदि कार्बन उत्सर्जन की बात की जाए तो अलकनंदा घाटी में सामान्य दिनों की तुलना में 17 गुना कार्बन बढ़ गया है।

 

 

 

 

इसका खुलासा एचएनबी गढ़वाल विवि के शोध में हुआ है,बता दें कि गढ़वाल विवि के चौरास परिसर में अत्याधुनिक मशीनों के जरिए पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों में नजर रखी जाती है. जिसके लिए विज्ञानिकों की ओर से एथेलोमीटर (Aethalometer AE33 Black Carbon Monitor) विश्लेषक लगाया गया है. जिसमें इन दिनों वनाग्नि के बाद हो रहे कार्बन उत्सर्जन की मॉनिटरिंग की जा रही है.

 

 

 

 

साथ ही यहां पर एथेलोमीटर से अहम डेटा भी जुटाए जा रहे हैं.शोध छात्र अमनदीप बताते हैं कि इस धुंध के कारण आंखों में जलन, सांस लेने में होने वाली तकलीफ से भी लोगों को दो चार होना पड़ रहा है, लेकिन इसके और भी दूरगामी घातक परिणाम देखने को भविष्य में देखने को मिल सकते हैं. अगर वनाग्नि की घटनाओं को रोका नहीं गया तो इससे पहाड़ों की पूरी जैव विविधता को बदलने मेंदेर नहीं लगेगी.

 

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