नशे की गिरफ्त में जकड़ते जा रहे हैं युवा, नशे के कारोबारियों के गिरेबान से दूर हैं पुलिस के हाथ
यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : नगर में पिछले कुछ सालों से नशे का प्रचलन इतना बढ़ गया है कि 15 साल से लेकर 50 साल के लोग इस नशे का इस्तेमाल कर अपनी और अपने परिवार की ज़िंदगी को दांव पर लगा रहे हैं। नशे का कारोबार नगर की नई बस्तियों और बाहरी इलाके में धड़ल्ले से चलाया जा रहा है।
आएदिन नशेड़ी युवक अपने नशे में एक दूसरे से या फिर किसी अन्य से भिड़ते रहते हैं। नशे की लत में पड़े इन युवकों की हालत यह है कि इन्हें रोज़ाना नशा करने के लिए खासे पैसे की ज़रूरत होती है और ये अपनी इस तलब को मिटाने के लिए मजदूरी करते हैं
और उसी से मिले पैसे से अपनी तलब को पूरा करते हैं जबकि इस पैसे की उनके परिवार को बेहद ज़रूरत होती है इसीलिये जब उनकी मजदूरी का पैसा घर जाने से पहले ही नशे की भेंट चढ़ जाता है तो घर में अक्सर कलह पैदा हो जाती है। उधर इन नशेड़ियों को जब तलब पूरी करने के लिए पैसा नहीं मिल पाता है तो अक्सर ये भी अपनी तलब को पूरा करने के लिए छोटे मोटे अपराध करने पर उतर आते हैं। यंहा अगर बात इस कारोबार पर अंकुश लगाने की की जाए तो कोतवाली पुलिस इस मामले में पूरी तरह विफल दिखाई देती है और इस मामले में पुलिस के हाथ हैं हमेशा खाली रहते हैं।
शायद पुलिस इस मामले को इतनी गंभीरता से लेती भी नही है इसीलिए नगर में इन नशेड़ियों की तादात दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। पुलिस को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कड़े कदम उठाने होंगे और छोटे मोटे नशेड़ियों पर शिकंजा कसने के बजाय उसे इस नशे के कारोबार की जड़ को काटना होगा तभी इस नशे के मकड़जाल से निजात मिल सकती है।
यंहा एक बात और बताते चलें कि नगर के कुछ मेडिकल स्टोर भी इस नशे के काम को बढ़ावा दे रहे हैं इन मेडिकल स्टोर पर प्रतिबंधित दवाइयों और इंजेक्शन को चार गुना दामो पर इन नशेड़ियों को बेच कर जंहा मेडिकल स्वामी भारी मुनाफा कमा रहे हैं वहीं नोजवानो को बर्बाद कर रहे हैं। इस नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए कोतवाली पुलिस के अलावा स्वास्थ्य विभाग को भी आगे आना होगा और ऐसे मेडिकल स्टोर को चिन्हित कर उनके लाइसेंस खारिज कर इनके संचालकों को जेल भेजना होगा। अब देखना ये है कि स्वास्थ्य विभाग की कुम्भकरणी नींद खुलती है या इन मेडिकल स्टोर को यूं ही मनमानी करने की छूट मिलती रहेगी।