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यामीन विकट 

ठाकुरद्वारा : बढ़ती बीमारियों के खतरे को नज़र अंदाज़ कर नगर पालिका प्रशासन कुम्भकर्णी नींद सो रहा है। नगर में दिखावे के लिए होता है एंटीलारवा का छिड़काव। पिछले कुछ सप्ताह में हो चुकी हैं कई मौतें।
पिछले लगभग एक माह से अधिक समय से नगर व क्षेत्र भर में वायरल बुखार, टायफाइड, डेंगू, व मलेरिया आदि से अनगिनत लोग बीमारी की चपेट में आकर इधर उधर अपना इलाज कराते हुए घूम रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई बार लोगों को जागरूक करने के उद्देश्यों से बैठक आदि कर सचेत करने का कार्य भी किया जा रहा है।
इसके अलावा नगर व क्षेत्र में अलग अलग स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर मुफ्त इलाज और जांच आदि भी की जा रही हैं लेकिन इस सबके बावजूद नगर पालिका प्रशासन अपने पुराने ढर्रे पर ही चलते हुए केवल पहले की भांति ही साफ सफाई करवा रहा है। नगर पालिका द्वारा संक्रामक बीमारियों के इस दौर में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं यदा कदा एंटीलारवा का जो छिड़काव किया भी जा रहा है।
 तो उसमें इस्तेमाल होने वाली कीट नाशक दवाई भी ऐसी है कि उससे शायद ही कोई मच्छर मरता हो, मज़े की बात यह भी है कि वो भी कंही छिड़की जा रही तो कंही बिल्कुल ही नही । नगर पालिका परिषद के इस उदासीन रवैये के चलते संक्रमण थमने का नाम नही ले रहा है। दुख की बात ये है कि इसी संक्रमण के चलते नगर के कई घरों के चिराग बुझ चुके हैं और जिन घरों में डेंगू आशंकित बुखार के चलते मौतें हुई हैं वँहा दुख का मातम छाया हुआ है।
लेकिन अफसोस की बात है कि इन मौतों का नगर पालिका प्रशासन पर कोई असर पड़ता नही दिख रहा है और अभी भी उसकी कुम्भकर्णी नींद नही टूटी है। बताते चलें कि नगर पालिका प्रशासन के ढुल मुल रवैय्ये के कारण ही नगर के बीचोबीच से गुज़र रहे नाले पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है जिसके चलते सफाई कर्मियों को नाले की सफाई करना नामुमकिन हो गया है।
 ऊपर से इसी नाले में लोगो ने अपने शौचालयों का पानी भी छोड़ रखा है । नालो की सफाई का न हो पाना और इसी कारण बरसात में इन नालो से पानी की निकासी न होना इस संक्रमण के फैलाव का कारण बन हुआ है। नगर पालिका प्रशासन ने अब भी समय रहते कोई कारगर उपाय नहीं किया तो ये संक्रमण और अधिक खतरनाक साबित हो सकता है।
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