निधि खर्च करने में फिसड्डी सांसद, आंकड़ों ने खोली पोल
चुनाव में फिर चलेंगी सरकारों की हवाएं और सब गाए की सबकी मन की ये भाषा यहां पार्टियों से है ये आशा। ये गाना चुनावी माहौल में जमकर सुनने को मिल रहा है। अक्सर चुनावी माहौल में तमाम राजनीतिक पार्टियां ट्रेंडिंग में चली जाती है और अपने फिल्मी तरानों से जनता को लुभाने में लग जाती है। इस बीच सरकारें ये भूल जाती है की जिन तरानों से वह जनता को लुभाने की कोशिश कर रहे है वह लोगों के दिलों को आहत कर रही है।
वि ओ यूं तो चुनावी रंगमंच में अक्सर तमाम राजनीतिक पार्टियां जनसेवा के लाखों दावे करती है। दरअसल राजनीतिक दल जनता की सेवा करने की दावे करते नहीं अघाते सांसद निधि खर्च करके आंकड़ों उसकी व्यापक पोल खोलते है कि दल जनसेवा के प्रति कितने गंभीर है अपने क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली सांसद निधि के प्रति सभी राजनीतिक दलों के सांसद की उदासीनता बताती है कि इनके दावे भोथरे है। विभिन्न सांसदों की सांसद निधि की किस्ते पिछली सांसद निधि किस्त के खर्च सम्बन्धी प्रमाण, आॅडिट रिपोर्ट आदि प्राप्त न होने जारी नहीं हुई है। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत सरकार के सांसद निधि के नोड विभाग संख्यिकी एवं क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुुआ हैै।
वि ओ काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने भारत सरकार के सांसद निधि जारी करने वाले नोडल मंत्रालय संख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय से वर्तमान सांसदों के सांसद निधि जारी करने की सूचना मांगी। इसके उत्तर में उपनिदेशक एवं केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी विकास निगम ने वांछित सूचनाओं का एम पी लैैड्स वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक का विवरण उपलब्ध कराया हैै। इस लिंक से 15 नवम्बर 2022 को उपलब्ध सूचना डाउन लोड करने पर वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 तथा 2022-23 ( 15 नवम्बर 22 तक) 4244. 5 करोड़ की सांसद निधि जारी न होनेे का खुलासा हुआ। नदीम को उपलब्ध विवरण के अनुसार 9 नवम्बर 2022 तक जारी न होने वाली कुल 4244.5 करोड़ की सांसद निधि में 2889 करोड़ लोक सभा सांसदों की तथा 1355.5 करोड की राज्य सभा सांसदों की सांसद निधि शामिल है। नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार 2019-22 तक साढ़े तीन वर्ष की अवधि की 53.89 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई है जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष की 9 नवम्बर तक केवल 21 प्रतिशत सांसद निधि ही जारी हुुई हैै। सांसद निधि खर्च करने के मामले में राज्य सभा सांसदों से लोक सभा सांसद आगे है जहां राज्य सभा सांसदों की 49.66 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई है, वहीं लोकसभा सांसदोें की 55.65 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई हैै।
वर्ष 2019-22 की सांसद निधि 60 प्रतिशत से अधिक जारी होने वाले राज्यों में नागालैंड (79 प्रतिशत), मिजोरम (69), आसाम (68), छत्तीसगढ़ (66), मेघालय (65) मध्य प्रदेश (62) पंजाब (61 प्रतिशत) शामिल है।
जबकि 51 से 60 प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में अरूणाचल प्रदेश (60 प्रतिशत), गुजरात (59), चण्डीगढ़ (58), दमन एवं दीव (58), सिक्किम (58), उड़ीसा (58), जम्मू कश्मीर (57), हिमाचल प्रदेश (56), उत्तराखंड (56), उ0प्र0 (56), कर्नाटक (54), मनोनीत सांसद (54), तमिलनाडु (53), झारखण्ड (53), मणिपुर (53), त्रिपुरा (53) तथा पश्चिम बंगाल (52 प्रतिशत) शामिल हैै।
जबकि 41 से 50 प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में राजस्थान (50 प्रतिशत), पण्डिचेरी (50), महाराष्ट्र (49), हरियाणा (48), तेलंगाना (46), आंध्र प्रदेश (45) तथा अण्डमान निकोबार द्वीप (42 प्रतिशत) शामिल हैै।
जबकि 40 व कम प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में गोवा (40 प्रतिशत), दिल्ली (38), दादर एवं नागर हवेली (37) तथा लक्ष्यद्वीप (21 प्रतिशत) शामिल हैै।
फाइनल ऐसे में सवाल ये उठता है की चुनावी माहौल में राजनीतिक दल जहां खूब एक्टिव होकर तरह-तरह के अनोखे वादे कर जनता को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते लेकिन जब बात जनता के हित और उनके विकास के लिए आती है तो सरकार तमाम वादों को भूल उसी पुरानी पटरी पर चले जाते है।