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नशा मुक्ति केंद्र य फिर नरक, आरटीआई में सामने आया चौकाने वाला खुलासा

उत्तराखंड में नशा का करोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। बढ़ते नशे की लत युवाओं को अंदर से खोखला कर रही है। वहीं किसी हद तक अपने बच्चों में लगाम कसने के लिए परिवार वाले उन्हें नशामुक्ति केंद्रों पर भेजते है लेकिन यही नशा केंद्र उनके बच्चों के लिए नरक साबित होते हुए दिखाई दे रहे है। देहरादून में नशामुक्ति केंद्रों के हालत भयावह स्थ्ति को दर्शा रहे है। यहां के हाल तो ऐसे हो गए है जैसे मानों कोई खिलौना उन्हें पकड़ा दिया हो। देहरादून में केंद्रों में कई घटनाएं और शिकायतें सामने आने के बाद भी सुध नहीं ​ली जा रही है। आज तक न तो कोई मानक बनाए गए और न ही इन पर कोई कार्रवाई होती हुई दिख रही है। ऐसे में हालात ये हो गए है कि एक ही कमरे में 35 लोगों को रखा जा रहा है। बता दें कि वैसे तो दून में हर गली मोहल्लों में नशा मुक्ति केंद्र खुले है लेकिन समाज कल्याण विभाग ने पूरे जिले में मात्र 40 नशामुक्ति केंद्र खुलने की बात कहता हुआ दिखाई दे रहा है। इन सबके विपरीत केंद्रों में आए दिन कोई न कोई घटना सामने आती है लेकिन कोई भी नियम-कायदे न होने से आज तक इन केंद्रों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है। वहीं अधिवक्ता शिवा वर्मा की ओर से आरटीआई में मांगी गई सूचना में हुए खुलासों ने नशा केंद्रों का रिपोर्ट कॉर्ड खोलकर रख दिया है। आरटीआई में खुलासा हुआ है कि केंद्रों पर एक कमरे में 35 लोगों को रखा जा रहा है। आरटीआई के तहत जब उन्होंने सीएमओ से नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या, एसओपी, सुविधाओं की सूचना मांगी गई तो नशा केंद्रों की पोल खुल गई। सीएमओ ऑफिस की सूचना पर गौर करें तो देहरादून में 40 नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या है जिनका संचालन बिना किसी मानक के आधार पर हो रहा है। एक नशा मुक्ति केंद्र के एक कमरे 35 लोगों को रखा जा रहा है और एक नशा मुक्ति केंद्र में मात्र दो कमरे है जिनमें 61 लोगों को रखा गया है। हैरानी की बात ये है कि इन केंद्रों का न तो कोई रजिस्ट्रेशन है और न प्रशिक्षित स्टॉफ है। सीसीटीवी कैमरे, शिकायती रजिस्टर, दैनिक रिजस्टर, विजिटिंग रजिस्टर तक की व्यवस्था नहीं है।

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