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जो प्रेम करते हैं वो ही ईश्वर को पाते हैं, सद गुरु डॉ दीपक कुमार,

यामीन विकट

ठाकुरद्वारा : रविवार को नगर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर साप्ताहिक साधसंगत का आयोजन किया गया जिसमें प्रचारक कृषि वैज्ञानिक डॉ दीपक कुमार जी ने सद्गुरु के विचारों को संगत के समक्ष रखा।

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उन्होंने ने कहा कि मनुष्य को विवेकशील होना चाहिए।हम ही अपने सुख-दुख के लिए जिम्मेदार होते हैं।भक्तों को प्रभु के गुणगान, प्यार, सहनशीलता और नम्रता में आनंद आता है, क्योंकि रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि मनुष्य का शरीर बड़े भागों से मिलता है। सद्गुरु ब्रह्म ज्ञान देकर अपने भक्तों को सेवा, सिमरन और सत्संग से जोड़ता है और भक्त अहम् ब्रह्म अस्मि के भाव में जीवन जीता है।ये मानव जन्म ईश्वर की प्राप्ति के लिए मिला है।भक्त हमेशा मीठी भाषा बोलता है। सद्गुरु लोक-परलोक को राम नाम से सुखदाई बनाता है तथा मन को बंधनों से मुक्त करता है।

 

 

 

उन्होंने आगे कहा कि मन का सकारात्मक परिवर्तन होना और सद्गुरु के चरणों में लगाना आवश्यक है।जो प्रेम करते हैं वे ही प्रभु को पाते हैं।मुखी ब्रह्म प्रकाश गुप्ता जी ने सबको लगातार संगत करने के लिए प्रोत्साहित किया।

 

 

 

 

मंच संचालन नरेश चंचल ने किया। संगत में संचालक डॉ रामकुमार सिंह, रघुनाथ सिंह,ओमप्रकाश सिंह,वेदप्रकाश शर्मा, प्रेमप्रकाश सिंह,विवेक, अंजलि,प्रीति,मेघा अग्रवाल, सुनीता अग्रवाल,लक्ष्मी आदि सहित सैकड़ों भक्तों ने हिस्सा लिया।

 

 

 

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