Advertisements

 कब्र में दफन है कहीं राज़ वन विभाग और विधुत विभाग के कर्मचारियों पर अधिकारियों का कंट्रोल खत्म

 

 

Advertisements

जनपद उधम सिंह नगर और नैनीताल इन दोनों जिलों में जिम्मेदार अधिकारियों का कंट्रोल अपने कर्मचारियों पर खत्म होता दिखाई दे रहा है। कर्मचारियों की मनमानी के आगे अधिकारियों की कलम अब लाचार सी हो गई है।

 

 

 

कर्मचारियों की मर्जी होती है तो अपने सीनियर अधिकारियों को घटना की सूचना देते हैं वरना मामले को अपने हिसाब से ही रफा दफा कर देते हैं जी हां इन दोनों जनपद उधम सिंह नगर और नैनीताल में इस तरीके के मामले उजागर होते हुए हैं नजर आ रहे हैं ताजा मामला एक बार फिर वन विभाग के कर्मचारी और विद्युत विभाग के कर्मचारियों की मनमर्जी का सामने आया है, मिली जानकारी के अनुसार तराई पष्चिमी डिवीजन रामनगर की ईको टूरिस्ट जोन फाँटो की बीट शिवका में हाई टेंशन बिजली की लाइन की चपेट में आकर एक सांभर की मौत हो गई थी।

 

 

 

 

 

जिसको वन विभाग के तराई पश्चिमी डिवीजन के मुखिया प्रकाश चंद्र आर्य और उधर जसपुर क्षेत्र के बिजली विभाग के मुखिया विनीत सक्सेना से छुपाया गया और कर्मचारियों द्वारा सांभर की बॉडी को गड्ढा खोदकर दबा दिया गया और।

 

 

 

 

सांभर की बॉडी को छिपाने में दोनों ही विभाग के कर्मचारियों के क्या राज और क्या लालच छिपा था जो अधिकारियों को सूचना देना उचित नहीं समझा या फिर यह कहिए के अधिकारियों को अब कर्मचारी कुछ समझते ही नहीं क्योंकि अधिकारी अपने कर्मचारियों पर अटूट विश्वास कर कर रहे हैं और कर्मचारी विश्वास घाट कर रहे है। मामला वन्यजीवों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।

 

 

 

 

दरअसल सांभर की मौत हाइड्रेशन लाइन के गिरने से हुई है उसके नीचे कुछ माफियाओं द्वारा अवैध तरीके से मिट्टी खुदान का कार्य किया गया था और जिम्मेदार अधिकारियों ने उसको रोकने की कोई भी कोशिश नहीं की थी या फिर यूं कहें की जिम्मेदार अधिकारियों के इशारे पर ही यह अवैध धंधा चला था जिस पर धीरे-धीरे बिजली के पोल के आसपास भी मिट्टी का खुदान कर लिया गया है।

 

 

 

 

 

जिसकी सूचना बिजली विभाग के कर्मचारियों को भी थी लेकिन ना तो उसे पर रोक लगाने के लिए कोई प्रयास किए गए और ना ही मिट्टी के माफिया के खिलाफ कोई कार्यवाही होने की सूचना है।

 

 

 

 

 

जिस तरीके से इस संवेदनशील मामले को दो सरकारी जिम्मेदार विभागों ने रफा दफा कर दिया है उससे अब वन्यजीव की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है ना जाने और कितने ऐसे संवेदनशील मामले इन वन्यजीवों के रखवालो ने दफन किये होंगे। फिलहाल ये तो जांच का विषय है लेकिन जिन जिम्मेदार अधिकारीयो ओर करचारियो को वन्यजीवों की सुरक्षा का जिम्मा दिया गया है।

 

 

 

 

सरकार जनता के गाड़े टैक्स की कमाई के पैसो से मोटी तनखाह सिर्फ इस लिए दे रही है कि ये वन विभाग के रखवाले जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही है क्या इन दोनों जिम्मेदार विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों पर कोई कार्यवाही होगीये अब एक बड़ा सवाल उभरकर सामने आ रहा है।

 

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *