काशीपुर में मेयर चुनाव कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ीं संदीप सहगल की चुनावी नैया डगमगाई
अज़हर मलिक
काशीपुर का मेयर चुनाव हर दिन नया मोड़ ले रहा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों में बगावती सुर उठ रहे हैं। लेकिन इस चुनावी रण में वही योद्धा सफल होगा, जो अपने डैमेज को संभाल सके। कांग्रेस के प्रत्याशी संदीप सहगल के लिए चुनौती और भी बड़ी है क्योंकि उनकी मैनेजमेंट टीम डैमेज कंट्रोल में असफल साबित हो रही है। संदीप सहगल, जो लंबे समय से इस चुनाव की तैयारी में जुटे थे, अब मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं।
हनीफ गुड्डू के मुद्दे पर बीजेपी के प्रत्याशी दीपक बाली ने कांग्रेस को इस तरह घेरा कि उनके वोट बैंक को नुकसान पहुंचा। कांग्रेस की मैनेजमेंट टीम इस प्रहार का प्रभावी जवाब देने में विफल रही, जिससे दीपक बाली को सीधा फायदा मिलता दिखाई दे रहा है। दिलचस्प बात यह है कि हनीफ गुड्डू कभी दीपक बाली के करीबी माने जाते थे, लेकिन कांग्रेस इस तथ्य का लाभ उठाने में नाकाम रही।
इसके अलावा, कांग्रेस अब तक उन बागियों को भी अपने पक्ष में लाने में असफल रही है, जो टिकट न मिलने की वजह से पार्टी से अलग हो गए। इन बागियों ने पार्षद प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की ठान ली है। भले ही इन बागियों की जीत की संभावना कम हो, लेकिन उनके प्रभाव से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है।
निकाय चुनाव में पार्षद प्रत्याशियों की भूमिका अहम होती है क्योंकि वे डोर-टू-डोर जाकर वोटरों को जोड़ते हैं और मेयर प्रत्याशी के लिए माहौल बनाते हैं। लेकिन कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशी इस मोर्चे पर भी कमजोर नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की कमजोर रणनीति और बागियों की चुनौती ने संदीप सहगल की चुनावी नैया को मुश्किल में डाल दिया है। यदि कांग्रेस जल्द ही अपनी रणनीति में बदलाव नहीं करती, तो यह चुनाव उसके लिए एक बड़ी हार में बदल सकता है।